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River and us

Updated: Feb 21, 2022

After a long time, today I sat on the bank of the river while roaming around, there was no work, I was thinking what to do, then I saw the moving stream of the river and thought why this river is always flowing, why does not stop Or where it goes, it also has an end somewhere. Was this all I was thinking? That's when a thought came to my mind, is our life also not like this river, that we always keep on moving, do not stop at all? Then where do they go, what do they do, why do they do it for whom, is there an end to it or is it an end with the end of life, these things were swirling in my heart at that time?


Then I started connecting my life with the river. As we grow up, in the same way, our work increases and the responsibility of the house also increases on us, in the same way when a river starts, it absorbs all those who come around it and above it. The responsibilities also increase, because whenever the river gets bigger, the number of creatures inside it increases and all the creatures around them have to take care of them, give them water and keep themselves clean too. As long as we and our life is clean and pure, the people living in it also live very happy and peacefully with enthusiasm and make their life better or else their life is very happy but in life if any of us Whether by mistake or someone else's mistake or some mistake is made intentionally by them, then our life and our life, the life of all the people associated with our life gets in trouble and their happiness, love, and dignity all end.

Similarly, by dumping garbage in the river, the river becomes dirty, but if its flow is three daughters-in-law, the river also cleans itself, but if the flow of our life is fast then we will clean it, but if our life's flow is fast, then we will clean it. If the flow is slow or slow, then we put our life in danger and it goes on decreasing day by day and a crisis starts looming over the life. As long as your life will be better with good deeds, till then you will be happy and will be able to keep others happy, if your karma is bad then you will be sad but will also keep others unhappy. "Because whatever you do, so will you get"


If someone benefits us, then we should bear the sufferings that come upon us. Just as the flow of a river benefits other animals, plants and animals, the river can bear the stones or garbage thrown by someone. In the same way, there are many such troubles in our life which try to break us completely but we should never leave our companions, family, members because we belong to them. That's us!



नदी और हम!


बहुत दिन बाद आज मैं घूमते घूमते नदी के किनारे जा बैठा, कोई काम ना था, मैं सोच रहा था कि मैं क्या करूं, तभी मैंने नदी की चलती उस धारा को देखा और सोचा कि यह नदी हमेशा बहती रहती क्यों है ,क्यों नहीं रुकती या फिर कहां जाती हैं, इसका अंत भी है कहीं। यह सब मैं सोच ही रहा था? तभी मेरे मन में ख्याल आया क्या हमारा जीवन भी इस नदी की तरह ही तो नहीं है, कि हम हमेशा चलते रहते हैं , रुकते ही नहीं हैं? फिर कहां चले जाते हैं ,क्या करते हैं क्यों करते हैं किसके लिए करते हैं ,क्या अंत भी है इसका या जीवन के अंत के साथ ही इसका अंत है ,यही बातें उस समय मेरे हृदय में घूम रही थी?


तब मैं अपने जीवन को नदी के साथ जोड़ना शुरु किया। जैसे - जैसे हम बड़े होते हैं वैसे - वैसे हमारे काम बढ़ते जाते हैं और घर की जिम्मेदारी भी हम पर बढ़ती जाती हैं उसी प्रकार जिस प्रकार नदी जब शुरू होती है तो उसके आसपास आने वाले सभी को वह अपने अंदर समां लेती है और उसके ऊपर भी जिम्मेदारियां बढ़ती जाती हैं, क्योंकि जब - जब नदी बड़ी होती जाती है उसके अंदर जीवो की संख्या बढ़ती जाती हैं और उन आसपास के सभी जीवो को देखभाल करना उन्हें पानी देना और अपने आप को भी साफ रखना पड़ता है। जब तक हम और हमारा जीवन साफ-सुथरा और पवित्र रहता है ,उसमें रहने वाले भी बहुत खुश और शांति में उत्साह के साथ रहते हैं और अपना जीवन बेहतर बनाते हैं या कहीं तो उनका जीवन बहुत ही खुशहाल होता है लेकिन जीवन में यदि कोई हमारी गलती या किसी और से गलती हो जाए या कोई गलती उनसे जानबूझकर कराएं इससे हमारा और हमारे जीवन यह हमारे जीवन से जुड़े सभी लोगों का जीवन संकट में पड़ जाता है और उनकी खुशहाली ,प्रेम ,श्रेष्ठा सब खत्म होने लगती है।

इसी प्रकार नदी में कूड़ा करकट गंदगी डाल देने से नदी मैली हो जाती है लेकिन उस का बहाव तीन बहू तो नदी अपने आप को साफ़ भी कर लेती है परंतु अगर हमारे जीवन का बहाव तेज है तो हम उसे साफ कर लेंगे परंतु अगर हमारा जीवन का बहाव स्लो है या धीमे है तो हम अपने जीवन को खतरे में डाल देते हैं और वह दिन प्रतिदिन घटती चली जाती है और एक संकट जीवन पर मंडराने लगता है जीवन का कब अंत हो जाए कब विनाश हो जाए यह बताना असंभव है क्योंकि जीवन मैं जब तक अच्छे कर्म से आपका जीवन बेहतर रहेगा तब तक आप खुश है और दूसरों को खुश रख पाएंगे, अगर आपका कर्म बुरा होगा तो आप तो दुखी होंगे परंतु दूसरों को भी दुखी ही रखेंगे। "क्योंकि जैसा करोगे ,वैसा ही तो पाओगे"


यदि हमसे किसी का भला हो तो हमें अपने ऊपर आने वाले कष्टों को झेल लेना चाहिए । जिस प्रकार नदी के बहाव से दूसरे जीव-जंतु ,पेड़-पौधों का भला होता है तो किसी के फेके जाने वाले पत्थर या कचरे को नदी झेल लेती है। उसी प्रकार हमारे जीवन में कई ऐसे कष्ट आते हैं जो हमें पूरा तोड़ने की कोशिश करते हैं लेकिन हमें अपने साथियों ,परिवारजनों का कभी भी साथ नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि उन्हीं से हम हैं! हमसे वोह है!

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